नेपाल में Gen-Z क्रांति का नया अध्याय: नई सरकार के लिए युवाओं ने पेश किया ब्लूप्रिंट
नेपाल में शुरू हुआ Gen-Z आंदोलन अब केवल सड़कों पर विरोध नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित राजनीतिक प्रस्ताव में बदल चुका है। सोशल मीडिया बैन, भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ शुरू हुए इस आंदोलन ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे तक का रास्ता तय किया। अब युवाओं ने एक संक्रमणकालीन सरकार के गठन के लिए विस्तृत योजना पेश की है।
सार्वजनिक चिट्ठी की प्रमुख बातें
Gen-Z समूह ने एक सार्वजनिक चिट्ठी जारी की है जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका आंदोलन “विनाश नहीं, जवाबदेही” के लिए है। उन्होंने हिंसा, आगजनी और लूटपाट की घटनाओं की कड़ी निंदा की है और कहा है कि ऐसे लोग उनकी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
️ नई सरकार का प्रस्तावित ढांचा
- संसद भंग करने की मांग
- मौजूदा संसद को तत्काल भंग किया जाए ताकि भ्रष्टाचार की जड़ें काटी जा सकें।
- संयुक्त नागरिक-सैन्य संकट प्रबंधन परिषद
- राष्ट्रपति के औपचारिक नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन हो।
- कार्यकारी अध्यक्षता पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को सौंपी जाए।
- सेना की भूमिका केवल सुरक्षा और निगरानी तक सीमित रहे।
- लोकतांत्रिक चुनाव
- अगले 6–12 महीनों में निष्पक्ष आम चुनाव कराए जाएं।
- नीति-निर्माण पर सेना का स्थायी नियंत्रण नहीं होगा।
⚖️ जवाबदेही और न्याय की मांगें
- नेताओं, नौकरशाहों और प्रशासनिक अधिकारियों की स्वतंत्र जांच हो।
- प्रदर्शन के दौरान गोली चलाने वाले पुलिस अधिकारियों की पहचान और सज़ा सुनिश्चित की जाए।
- न्यायालय भवनों, प्रशासनिक कार्यालयों और डिजिटल दस्तावेजों को नुकसान पहुंचाने वालों की जांच और गिरफ्तारी हो।
नेताओं को देश छोड़ने से रोकने की मांग
- वर्तमान में सैन्य संरक्षण में रह रहे नेताओं को देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाए।
- उनके खिलाफ ट्रिब्यूनल में मुकदमा चलाया जाए, ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके।
- जेलों से फरार कैदियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत वापस लाया जाए, और जो स्वेच्छा से नहीं लौटते उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
मानवीय राहत और पुनर्वास
- जान-माल के नुकसान वाले परिवारों को मुआवजा दिया जाए।
- अस्पतालों, स्कूलों और बुनियादी ढांचे की तत्काल सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
- सिविल सोसायटी द्वारा फंड रेजिंग का वितरण सेना के साथ समन्वय में हो।
विश्लेषण: क्या यह नेपाल का नया संविधानिक मॉडल है?
Gen-Z आंदोलन अब केवल एक विरोध नहीं, बल्कि एक संविधानिक प्रयोग बन चुका है। यह प्रस्ताव एक ऐसा संक्रमणकालीन मॉडल पेश करता है जिसमें:
- न्यायपालिका, सेना और नागरिक नेतृत्व के बीच संतुलन हो
- युवा नेतृत्व को वैधता और जिम्मेदारी दी जाए
- संविधानिक संस्थाओं की पुनर्स्थापना हो
यह मॉडल दक्षिण एशिया में लोकतंत्र की नई परिभाषा बन सकता है—जहाँ सत्ता का हस्तांतरण केवल चुनाव से नहीं, बल्कि नैतिक जवाबदेही और जनभागीदारी से होता है।
निष्कर्ष नेपाल की Gen-Z क्रांति अब एक ऐतिहासिक मोड़ पर है। यह आंदोलन केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि एक नए सामाजिक अनुबंध की मांग है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो यह न केवल नेपाल, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक लोकतांत्रिक प्रेरणा बन सकता है।

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